Bhagavad Gita अध्याय 1: अर्जुन-विषाद योग : दूसरा और तीसरे श्लोक

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Bhagavad Gita अध्याय 1: अर्जुन-विषाद योग : दूसरा और तीसरे श्लोक Other Chapter Link- श्लोक 2 सञ्जय उवाच |दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा |आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् || शब्दार्थ: हिंदी में अर्थ: संजय ने कहा: “हे धृतराष्ट्र! उस समय दुर्योधन ने पांडवों की व्यवस्थित सेना को देखकर आचार्य द्रोण के पास जाकर उनसे यह बात कही।” … Read more

Bhagavad Gita अध्याय 1: अर्जुन-विषाद योग : पहला श्लोक

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Bhagavad Gita Bhagavad Gita के पहले अध्याय का पहला श्लोक (1.1): Other Chapter Link- Bhagavad Gita संस्कृत श्लोक: धृतराष्ट्र उवाच | धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः | मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय || शब्दार्थ: धृतराष्ट्र उवाच – धृतराष्ट्र ने कहा। धर्मक्षेत्रे – धर्मभूमि (जहां धर्म की प्रतिष्ठा होती है, या जहां धार्मिक कर्तव्य निभाए जाते हैं)। कुरुक्षेत्रे … Read more