UPPCS 2024 और RO/ARO 2024 की परीक्षा प्रक्रिया: समाधान और सुझाव

UPPCS 2024 और RO/ARO 2024 की परीक्षा प्रक्रिया: समाधान और सुझाव – Goldej Kumar

इस लेख का उद्देश्य यूपी में चल रही प्रमुख भर्ती परीक्षाओं से जुड़े हालिया मुद्दों का विश्लेषण करना है, जिनमें UPPCS (यूपीपीसीएस) 2024 और RO/ARO 2024 परीक्षाएं प्रमुख हैं। परीक्षा प्रक्रिया में अवरोधों के कारण, लाखों अभ्यर्थियों की तैयारी और भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। एक पूर्व सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा रहते हुए, और वर्तमान में अध्यात्म सिखाने वाले शिक्षक के रूप में, मुझे इस विषय पर विचार प्रस्तुत करना उचित प्रतीत होता है।

परीक्षाओं में पेपर लीक की समस्या और इसके परिणाम

2024 का वर्ष उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। RO/ARO परीक्षा का पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी और अब यह दिसंबर 2024 में आयोजित होगी। इसके बाद पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ, जिससे राज्य के परीक्षा बोर्ड और सरकार पर परीक्षाओं में सुरक्षा बढ़ाने का दबाव आया।

इन पेपर लीक की घटनाओं ने सरकार और आयोग पर कड़े कदम उठाने के लिए दबाव बनाया है। इसके कारण, UPPCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा को अक्टूबर में आयोजित करना पड़ा, हालांकि इसे पहले घोषित कार्यक्रम से आगे बढ़ाया गया था। अब, UPPCS और RO/ARO परीक्षाओं को दिसंबर में कराए जाने की योजना है।

UPPCS 2024

नॉर्मलाइजेशन और शिफ्ट व्यवस्था को लेकर असंतोष

इन परीक्षाओं को दो शिफ्टों में कराने की योजना है, जिससे नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसका मतलब है कि एक ही परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों को दो अलग-अलग प्रश्नपत्र हल करने होंगे, जिसमें कठिनाई स्तर अलग हो सकता है। सरल पेपर हल करने वाले अभ्यर्थियों के अंक कम किए जा सकते हैं, और कठिन पेपर हल करने वालों के अंक बढ़ाए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया अन्य परीक्षाओं में होती है, लेकिन अभी तक भारत में PCS की प्रारंभिक परीक्षा में इसे अपनाया नहीं गया है।

अभ्यर्थियों का मानना है कि इस प्रक्रिया से परीक्षा की निष्पक्षता प्रभावित होगी और वे इसे लेकर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। 11 नवंबर 2024 को एक बड़े आंदोलन का आयोजन करने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।

आयोग द्वारा की गई व्यवस्था और सरकारी स्कूलों में परीक्षा कराने का निर्णय

पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने निर्णय लिया कि सभी परीक्षाएं अब सरकारी स्कूलों में आयोजित होंगी, क्योंकि सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी खोने के डर से अधिक जिम्मेदारी से काम करेंगे। यह कदम सही दिशा में है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं।

सरकारी स्कूलों की क्षमता केवल 4.5 लाख परीक्षार्थियों तक सीमित है, जबकि RO/ARO परीक्षा के लिए इस बार 11 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। इसलिए इस परीक्षा को तीन शिफ्टों में आयोजित किया जाएगा। इसी प्रकार, UPPCS परीक्षा के लिए भी 5.7 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है, और इसे दो शिफ्टों में आयोजित किया जाएगा। यह स्थिति छात्रों में विरोध का कारण बन रही है।

UPPCS 2024

संभावित समाधान

  1. प्राइवेट स्कूलों का चयन: सरकारी स्कूलों की संख्या रातों-रात नहीं बढ़ाई जा सकती, लेकिन परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ चुने हुए प्राइवेट स्कूलों को जिम्मेदारी दी जा सकती है। इन स्कूलों को परीक्षा के नियमों का पालन कराने की पूरी जिम्मेदारी के साथ चयनित किया जा सकता है, जिससे शेष अभ्यर्थियों के लिए व्यवस्थित परीक्षा केंद्र उपलब्ध हो सकें।
  2. निगरानी और सुरक्षा में सुधार: आयोग को शिफ्टों में परीक्षाएं कराने के दौरान निगरानी बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों और अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करके पेपर लीक की घटनाओं को रोका जा सकता है।
  3. नॉर्मलाइजेशन का पुनर्विचार: अभ्यर्थियों के असंतोष को देखते हुए नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। यदि इसे लागू करना आवश्यक है, तो इसे अधिक पारदर्शिता के साथ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनाया जाना चाहिए, ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।
  4. संवाद सत्र: आयोग को अभ्यर्थियों के साथ खुला संवाद सत्र आयोजित करना चाहिए, जिससे उनकी समस्याओं और चिंताओं को समझा जा सके। इस प्रकार के संवाद से आयोग और अभ्यर्थियों के बीच विश्वास बढ़ेगा।

निष्कर्ष

सरकारी स्कूलों में परीक्षा केंद्र सीमित होने के कारण आयोग ने यह व्यवस्था अपनाई है, लेकिन आयोग और सरकार चाहे तो PCS परीक्षा के लिए एक समाधान निकाल सकते हैं। सरकारी स्कूलों में 4.5 लाख छात्रों के लिए व्यवस्था संभव है, जबकि शेष एक लाख छात्रों के लिए प्राइवेट स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनाए जा सकते हैं। यदि सरकार इन प्राइवेट स्कूलों पर अधिक निगरानी रखे और परीक्षा नियमों का सख्ती से पालन करवाए, तो इस समस्या का समाधान निकल सकता है।

यह समय सरकार और आयोग के लिए अभ्यर्थियों के विश्वास को पुनः स्थापित करने का है। एक पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली न केवल अभ्यर्थियों की चिंता दूर करेगी, बल्कि भविष्य में परीक्षा प्रक्रियाओं में सुधार का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।

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