UPSC Age Limit विवाद: उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट से किया हस्तक्षेप का अनुरोध
नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा के लिए निर्धारित UPSC Age Limit को लेकर विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में 15 से 20 उम्मीदवारों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि एज लिमिट के निर्धारण के लिए 1 अगस्त के बजाय 1 जनवरी की तारीख को आधार बनाया जाए। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इससे पूरे साल जन्मे उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सकेगा।

UPSC Age Limit विवाद का कारण UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए वर्तमान में आयु सीमा सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 32 वर्ष है, जबकि ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग के लिए यह सीमा क्रमशः 35 और 37 वर्ष तक है। यह आयु सीमा 1 अगस्त को आधार मानकर निर्धारित की जाती है, जो कई उम्मीदवारों के लिए असुविधाजनक साबित हो रही है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कई उम्मीदवार जो 1 अगस्त के बाद जन्मे हैं, वे इस नियम के कारण परीक्षा देने से वंचित रह जाते हैं। यदि आयु सीमा के निर्धारण की तारीख 1 जनवरी कर दी जाए, तो सभी उम्मीदवारों को समान रूप से परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका में कहा गया है कि UPSC परीक्षा देश के सबसे प्रतिष्ठित और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में से एक है। ऐसे में आयु सीमा के निर्धारण का यह असमान नियम कई योग्य उम्मीदवारों के लिए न्यायसंगत नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि कई अन्य सरकारी परीक्षाओं में आयु सीमा 1 जनवरी को आधार मानकर तय की जाती है।
UPSC की प्रतिक्रिया यूपीएससी ने अब तक इस याचिका पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। आयोग का कहना है कि आयु सीमा से जुड़े सभी नियम सरकार द्वारा निर्धारित होते हैं और आयोग केवल इन नियमों का पालन करता है।
एज लिमिट में बदलाव का संभावित प्रभाव यदि सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय देता है, तो यह UPSC परीक्षा के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक होगा। इससे हजारों उम्मीदवारों को फायदा होगा, जो अब तक आयु सीमा के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाते थे।
यूपीएससी परीक्षा का महत्व यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन हर साल देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं जैसे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), और भारतीय विदेश सेवा (IFS) के लिए किया जाता है। यह परीक्षा तीन चरणों – प्रारंभिक (प्रीलिम्स), मुख्य परीक्षा (मेन्स), और साक्षात्कार (इंटरव्यू) – में आयोजित की जाती है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन केवल कुछ सौ उम्मीदवार ही चयनित होते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ? शिक्षाविदों और विशेषज्ञों का कहना है कि आयु सीमा में बदलाव से परीक्षा प्रक्रिया में अधिक समावेशिता आएगी। हालांकि, इसके लिए सरकार और आयोग को नीति स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श करना होगा।
आगे की राह सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। अगर याचिकाकर्ताओं की मांग मान ली जाती है, तो यूपीएससी परीक्षा के नियमों में बड़ा बदलाव हो सकता है।
UPSC Age Limit विवाद न केवल उम्मीदवारों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि यह सरकार और आयोग के लिए भी एक बड़ा निर्णय साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है और इसका प्रभाव देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा पर कैसे पड़ता है।