UPSC Hindi Medium : एक विश्लेषण : तैयारी करने से पहले इस लेख को पढ़ना आपके लिए बहुत जरूरी है
हिंदी माध्यम से UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में धीरे-धीरे भारी गिरावट देखी गई है। एक समय था जब हिंदी माध्यम का UPSC में वर्चस्व था, लेकिन वर्तमान में यह स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। इस लेख में हम हिंदी माध्यम के पतन के कारणों और वर्षवार आंकड़ों के आधार पर इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समझने का प्रयास करेंगे।
हिंदी माध्यम का सुनहरा दौर और गिरावट की शुरुआत
2009 में, जब यूपीएससी की मुख्य परीक्षा (MAINS) देने वाले कुल 11,504 उम्मीदवारों में से 4,861 हिंदी माध्यम से थे, हिंदी माध्यम की भागीदारी कुल उम्मीदवारों का लगभग 42% थी। हालांकि, जैसे-जैसे वर्षों बीतते गए, यह प्रतिशत लगातार घटता गया।

UPSC Hindi Medium: वर्षवार आंकड़े और बदलाव:
वर्ष | हिंदी माध्यम से MAINS लिखने वाले | कुल MAINS देने वाले | हिंदी माध्यम का प्रतिशत |
---|---|---|---|
2009 | 4861 | 11504 | 42.25% |
2010 | 4194 | 11859 | 35.37% |
2011 | 1682 | 11230 | 14.98% |
2012 | 1976 | 12176 | 16.22% |
2013 | 1453 | 14167 | 10.26% |
2014 | 2191 | 16279 | 13.46% |
2015 | 2439 | 14640 | 16.66% |
2016 | 1320 | 15142 | 8.71% |
2017 | 1066 | 13052 | 8.17% |
2018 | 889 | 10241 | 8.68% |
2019 | 571 | 11467 | 4.98% |
2020 | 486 | 10336 | 4.70% |
2021 | 470 | 8925 | 5.26% |
2022 | 491 | 12766 | 3.84% |
मुख्य बदलाव जो हिंदी माध्यम पर प्रभावी रहे:
- 2011 (CSAT की शुरुआत): 2011 में यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में CSAT (सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट) जोड़ा गया। इसका उद्देश्य उम्मीदवारों की तर्कशक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता का परीक्षण करना था। लेकिन यह पैटर्न अंग्रेज़ी माध्यम के उम्मीदवारों के लिए अधिक अनुकूल साबित हुआ, जिससे हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या में भारी गिरावट आई। यह हिंदी माध्यम के पतन का सबसे बड़ा कारण रहा।
- 2013 (MAINS में बदलाव): 2013 में मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम और प्रारूप में बदलाव किए गए। हिंदी माध्यम के छात्रों को नए प्रारूप के अनुकूल होने में कठिनाई हुई।
- 2015 (CSAT को क्वालीफाइंग बनाया गया): CSAT को केवल क्वालीफाइंग बनाने के निर्णय से हिंदी माध्यम के छात्रों को कुछ राहत मिली। इस वर्ष हिंदी माध्यम से लिखने वालों की संख्या 2,439 तक पहुंची, जो पिछली वर्षों की तुलना में बढ़ोतरी दिखाती है।
- 2016 के बाद गिरावट: 2016 के बाद हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों की संख्या में लगातार कमी देखी गई। यह कमी UPSC परीक्षा की बदलती प्रवृत्ति और हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए संसाधनों की कमी के कारण हुई।

हिंदी माध्यम के लिए सी सेट की चुनौती
CSAT (सी सेट) हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए सबसे बड़ी बाधा साबित हुई है। यह परीक्षा, विशेष रूप से नॉन-टेक्निकल और हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए, कठिनाई का प्रमुख कारण बन गई। CSAT में गणित, रीज़निंग, पर आधारित प्रश्न अधिक होते हैं, जो अक्सर हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं।
इसका समाधान केवल और केवल CSAT की गहन तैयारी से संभव है। जो उम्मीदवार हिंदी माध्यम से हैं या नॉन-टेक्निकल बैकग्राउंड से आते हैं, उन्हें चाहिए कि वे UPSC की तैयारी शुरू करने से पहले एक वर्ष तक केवल CSAT पर ध्यान केंद्रित करें। इस दौरान:
- गणित: SSC स्तर तक गणित की तैयारी करें।
- रीज़निंग: तर्कशक्ति और मानसिक योग्यता के सवालों को मजबूत करें।
- अंग्रेज़ी: बुनियादी व्याकरण, वाक्य रचना और पढ़ने की क्षमता (Reading Comprehension) पर काम करें।
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अंग्रेज़ी भाषा की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दें, खासकर कॉम्प्रिहेंशन और ट्रांसलेशन स्किल्स में सुधार के लिए।
जब तक ये तीनों विषय पूरी तरह से मजबूत न हो जाएं, तब तक GS (सामान्य अध्ययन) की तैयारी शुरू नहीं करनी चाहिए।
अनुवाद और लंबी प्रश्नों की समस्या
एक अन्य चुनौती हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए प्रश्नपत्र के लंबे पैराग्राफ और उनकी अनुवादित भाषा को समझने में आती है। हिंदी में अनुवादित प्रश्न कभी-कभी जटिल हो जाते हैं और उनका अर्थ स्पष्ट रूप से समझने में परेशानी होती है।
समाधान:
- अंग्रेज़ी पढ़ने और समझने की क्षमता विकसित करें।
- यूपीएससी को भी अनुवाद की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान देना चाहिए ताकि हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए प्रश्न स्पष्ट और सरल हों।
हिंदी माध्यम के लिए समाधान
- हिंदी माध्यम के लिए विशेष अध्ययन सामग्री तैयार की जाए।
- कोचिंग संस्थानों को हिंदी माध्यम में CSAT पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री विकसित करनी चाहिए।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिंदी माध्यम के लिए गुणवत्तापूर्ण संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
- यूपीएससी के पाठ्यक्रम और प्रारूप में सभी भाषाओं के प्रति समानता सुनिश्चित की जाए।
हिंदी माध्यम से यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट हमारे शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है। हिंदी माध्यम को प्रोत्साहित करने और उसके अस्तित्व को बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। यदि सरकार, शिक्षण संस्थान, और समाज मिलकर हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए बेहतर अवसर प्रदान करें और CSAT जैसी चुनौतियों को समझदारी से हल करें, तो यह गिरावट रोकी जा सकती है।