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UPSC Hindi medium का खत्म कैसे हुआ ? तथ्यों के साथ विश्लेषण देखें

UPSC Hindi medium के उम्मीदवारों के साथ UPSC में होता भेदभाव: एक विश्लेषण

आंकड़ों की जुबानी एक चौंकाने वाली कहानी सामने आती है। 2009 में जहां हिंदी माध्यम से मेन्स परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों की संख्या 4,861 थी, वह 2022 में घटकर मात्र 491 रह गई। यह 90% की भारी गिरावट है। आइए इस गिरावट के पीछे के कारणों और परिवर्तनों को समझें:

यह डाटा UPSC की ऑफिशल वेबसाइट की Official Reports से बनाया गया है आप चाहें तो यहां पर जा करके चेक कर सकते हैं

ReportsYear
73rd Annual ReportOther Statistical Information2022 – 23
72nd Annual ReportOther Statistical Information2021 – 2022
71st Annual ReportOther Statistical Information2020 – 2021
70th Annual ReportOther Statistical Information2019 – 20
69th Annual ReportOther Statistical Information2018 – 19
68th Annual ReportOther Statistical Information2017 – 18
67th ANNUAL REPORTOther Statistical Information2016 – 17
66th ANNUAL REPORTOther Statistical Information2015-16
65th ANNUAL REPORT2014-15
64th ANNUAL REPORT2013-14
YEARहिंदी माध्यम से MAINS लिखने वालेTOTAL
2009486111504
2010419411859
2011 (CSAT लाया गया)168211230
2012197612176
2013 (MAINS में बदलाव हुआ)145314167
2014219116279
2015 (CSAT को क्वालीफाइंग बनाया गया 33%)243914640
2016132015142
2017106613052
201888910241
201957111467
202048610336
20214708925
202249112766
  1. CSAT का प्रभाव (2011):
  1. मेन्स परीक्षा में बदलाव (2013):
  1. CSAT को क्वालीफाइंग बनाने का असर (2015):
  1. निरंतर गिरावट (2016-2022):

निष्कर्ष: CSAT – हिंदी माध्यम उम्मीदवारों के लिए सबसे बड़ी बाधा

आंकड़ों का विश्लेषण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि CSAT की शुरुआत ने हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के लिए एक विभाजक रेखा खींच दी। 2010 तक जहां मुख्य परीक्षा देने वालों की संख्या 4,000 से अधिक हिंदी माध्यम के उम्मीदवार मेन्स में सफलतापूर्वक पहुंचते थे, वहीं CSAT के आने के बाद यह संख्या धड़ाम से गिरकर मुख्य परीक्षा देने वालों की संख्या 1,682 तक पहुंच गई। यह गिरावट का सिलसिला यहीं नहीं रुका।

CSAT के प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. 2011 (CSAT की शुरुआत): मुख्य परीक्षा देने वालों की संख्या 4,194 से घटकर 1,682 हो गई
  2. 2015 में CSAT को क्वालीफाइंग बनाया गया, लेकिन यह अपर्याप्त कदम साबित हुआ
  3. 2022 तक संख्या घटकर मात्र मुख्य परीक्षा देने वालों की संख्या 491 रह गई
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CSAT की समस्याएं:

अंतिम निष्कर्ष: CSAT को पूरी तरह से हटाए बिना हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की स्थिति में कोई सुधार संभव नहीं है। 2009-10 के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि CSAT से पहले हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को समान अवसर मिलता था। CSAT के कारण न केवल प्रतिभाशाली छात्र UPSC से दूर हो रहे हैं, बल्कि प्रशासनिक सेवाओं में भाषाई विविधता भी कम हो रही है। यदि वास्तव में हिंदी माध्यम के छात्रों को न्याय दिलाना है और UPSC में समानता लानी है, तो CSAT को पूरी तरह से समाप्त करना ही एकमात्र विकल्प है। इसके बिना किए गए सभी सुधार केवल सतही साबित होंगे और हिंदी माध्यम के छात्रों की वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं कर पाएंगे।

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